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Shrimad Bhagvad Gita Pratham Khand - Lahiri Mahasaya, Shri Bhupendra Nath Sanyal, Shridhar Swami
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Shrimad Bhagvad Gita Pratham Khand
प्रथम छः अध्यायों के मूल श्लोक, अन्वय, श्रीधर स्वामीकृत टीका, उसका हिंदी अनुवाद और योगिराज श्री श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय की आध्यात्मिक दीपिका एवं श्री भूपेन्द्र नाथ सान्याल द्वारा उक्त आध्यात्मिक दीपिका की विशद व्याख्या | भारतीय संस्कृति का मूल आधार योग ही है | योग साधन के विज्ञासुओं और साधकों की... show more
प्रथम छः अध्यायों के मूल श्लोक, अन्वय, श्रीधर स्वामीकृत टीका, उसका हिंदी अनुवाद और योगिराज श्री श्यामाचरण लाहिड़ी महाशय की आध्यात्मिक दीपिका एवं श्री भूपेन्द्र नाथ सान्याल द्वारा उक्त आध्यात्मिक दीपिका की विशद व्याख्या | भारतीय संस्कृति का मूल आधार योग ही है | योग साधन के विज्ञासुओं और साधकों की इस पुस्तक के द्वारा दो महान सिद्ध योगियों - ब्रह्मदर्शी योगिवर्य श्री लाहिड़ी महाशय और उनके निकटतम शिष्य श्री सान्याल जी - के स्वानुभूति के आधार पर योग-क्रिया के सुगम मार्ग का अभ्यास मिलेगा, जिससे साधन में श्रद्धा और प्रेरणा प्राप्त होगी | "सहज प्राणायाम", "केवल कुम्भक" योगसाधन इत्यादि गूढ़ प्रक्रियाएं जिस प्रकार इन महान आत्माओं द्वारा दीक्षित हुई हैं, जिस प्रकार इन योगिद्वय ने उन्हें सर्वसुलभ और सुकर इसी ग्रन्थ के आधार पर बनाया है स्यात वैसी सरल प्रणाली अन्य किसी भी योगमार्ग द्वारा सम्भव न होगी | साधारणतः लोगों की धारणा है कि गृहस्थ आश्रम में रहते हुए योगाभ्यास संभव नहीं है | परन्तु प्राचीन काल के ऋषियों ने तथा इन दोनों महर्षियों ने यावद जीवन गृहस्थ आश्रम में रहकर सिद्ध कर दिया कि गृहस्थ के लिए भी योग साधन संभव है | लाहिड़ी महाशय की व्याख्या सूत्रवत अतिसंक्षिप्त और सारगर्भित है - तत्त्वान्वेषी साधारण पाठक सहज ही उसके मर्म को समझ नहीं पाते | इसीलिए श्रद्धेय सान्याल महाशय ने वर्तमान संस्करण में उसके साथ स्वरचित एक विशद विवृति प्रदान की है | स्वानुभूति के आलोक में आनुषंगिक विषयों की जटिलता दूर करने की चेष्टा की गयी है |
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Format: Paperback
ASIN: B06XDMLY1M
Publisher: Gurudham Prakashan
Pages no: 530
Edition language: English
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